Sunday, May 24, 2020


बेटी प्रियंका और बेताल
विक्रम ने फिर बेमन से बेताल को पेड़ से उतारा और कंधे पर लाद कर चलने लगा बेताल ने फिर उसको बोरिंग इंट्रो के बाद प्रश्न पूछा बता राजन अमेठी का डंका बेटी प्रियंका ने मजदूरों की घर वापसी के लिए जिन 1 सहस्त्र बसों की सूची जारी की थी उसमें ऑटो  और स्कूटी के नंबर क्यों थे जवाब दें और फिर बेताल ने वही सर के टुकड़े हो जाने वाला मैसेज फॉरवर्ड कर दिया विक्रम बोला सुन बेताल इस जंबू द्वीपे भरत खंडे में उत्तर प्रदेश नाम के राज्य में योगी नामक गेरुआ वस्त्र धारी शासक है  उसके राज्य में अपराधियों के एनकाउंटर हुआ  करते हैं इस राज्य में पहले बेटी  प्रियंका के भाई राहुल भैया अपनी पारिवारिक सीट स्मृति इरानी नामक महिला के हाथों हार चुके थे इस राज्य में गेरुए वस्त्र धारी योगी पर षड्यंत्र करने की कोशिशें हर  बार नाकाम हो जाती हैं  है बेताल पिछले  विधानसभाचुनाव  में यही बेटी  प्रियंका अपने एक राजवंशी साथी ज्योतिरादित्य के साथ यहां की प्रभारी थी राजवंशी परिवार का वह व्यक्ति अब योगी की पार्टी में शामिल हो गया है किंतु बेटी प्रियंका पारिवारिक कार्यों से ऐसा करने में असमर्थ इसलिए जब भारत देश पर कोरोना नामक महामारी ने आक्रमण किया और देश की राजधानी से सहस्रो प्रवासी श्रमिक योगी के प्रांत में पैदल आने लगे तो बेटी प्रियंका ने  उचित अवसर जान एक सहस्त्र बसों का पत्ता फेंका जिसमें ऑटो और  स्कूटी के नंबर भी थे किंतु ऐसा गलती से नहीं हुआ क्योंकि बेटी प्रियंका ने सोचा  यूपी और बिहार के श्रमिकों को ऑटो और साइकिल रिक्शे से अत्यंत प्रेम है महानगर के लगभग समस्त ऑटो इन्ही के द्वारा चलाए जाते हैं  और साइकिल रिक्शा चाहे भारत भर से  समाप्त हो गया हो लेकिन यूपी बिहार के भय्याओ ने इसे लुप्त होने से बचाए रखा है इन्ही श्रमिकों के एक प्रतिनिधि चित्रपट के कलाकार निरहुआ ने तो इस पर एक फ़िल्म और एक  गाना निरहुआ रिक्शावाला भी बनाया था जो अत्यंत लोकप्रिय रहा बेटी प्रियंका ने साइकिल रिक्शे भी भिजवाए हैं पर चूंकि उनका रजिस्ट्रेशन नम्बर नही होता इसलिए वे सूची में नही रखे गए सुन बेताल बेटी प्रियंका की एक सहस्त्र बसों के ऐलान के बाद   योगी ने स्पष्ट किया की सरकार 13000 बसें चला रही है राज्य में अनेक छोटे मँझले और बड़े नेता भी बसें चला रहे हैं अनेक प्रधान पार्षद विधायक और मंत्री भी अपनी अपनी बसें श्रमिकों के लिए चलाते हैं आज यूपी के क्षेत्र में इतनी सहस्त्र बसें हो गई है कि प्रदेश की पूरी जनसंख्या इन बसों में समा सकती है हर आदमी इन श्रमिकों को बसों में बैठाना चाहता है अब श्रमिक के पास विकल्प है वह चाहे तो वह वॉल्वो  में बैठे एसी बस में बैठे स्लीपर बस में बैठे या साधारण बस में चाहे तो अपनी बेटी को स्कूटी से आगे भिजवा दें लेकिन हजारों उपलब्ध बसों के बावजूद यदि श्रमिक परिवार सपरिवार पैदल चल रहा है तो स्पष्ट है कि वह या तो शौकिया पैदल चल रहा है या फिटनेस फ्रीक होने की वजह से वेट लॉस के लिए
दीदी प्रियंका सहित हमारे सभी राजनेता इस सत्य को समझने में नाकाम रहे और श्रमिकों को जबरन बसों में बिठाने की कोशिश कर रहे हैं बेटी प्रियंका ने बसों की सूची में ऑटो और श्रमिकों की बेटियों के लिए स्कूटी का नंबर सोच समझ कर डाला है इससे उनका श्रमिकों के प्रति प्रेम और करुणा ही झलकती है तू इसे  गलत मत समझ इतना सुनते ही बेताल फिर अपने  पेड़ पर परमानेंट  बनाए टू बीएचके फ्लैट के नीचे जाकर लटक गया