Friday, January 15, 2010
पढाई से ठन गई !
ठन गई ठन गई
पढाई से ठन गई
किताबो से जूझने का मेरा कोई इरादा न था
कभी पढूंगा इसका कोई वादा न था
खुद से करके वादा में कहता हु रोज़
बस अब न करूँगा और मौज
परन्तु खता जो हू शाहीभोज
सो अब भी जरी है पढाई की खोज
अब और पढ़ा तो समझो जान गई
ठन गई , पढाई से ठन गई
इन्टरनेट का खेल है ये
ऑरकुट और फेसबुक का मेल है ये
बड़ा सुंदर जेल है ये
एक अदृश्य दुनिया में रोज़ खो जाना
साला पढ़ते पढ़ते सो जाना
चैटरूम वाली पट गई
एक नयी जिंदगी बस गई
ठन गई पढाई से ठन गई ।
अब तो शुरुआत होती है १२ बजे उठने से
क्या करे मन जो अब गया है अब पढने से
पढलिख कर भी क्या करना है
एक दिन तो वैसे ही मरना है
गर्लफ्रेंड के ख्वाब में तन्मयता से खो जाता है
इंडिया के फ्यूचर रोज़ सो जाता है
पढाई का बढ़ गया है टेंशन
पर हॉस्टलवाले कहते है नो मेंशन
रात भर गर्लफ्रेंड से बात करते है
दिन भर लैपटॉप पर गर्व से मुवियाँ देखते है
हॉस्टल लाइफ दिलो दिमाग में ठस गई
ठन गई पढाई से ठन गई
मन में २४ घंटे लडकियों का वास
बना फिरता हू देवदास
जाना चाहता हू वनवास
पर पहुच जाता हू हौजखास
मै किशन वो राधा जीवन आधा
पढाई में यही तो है बाधा
रोज़ छोले चावल की प्लेट सामने आजाती है
पढाई तो अधर में चली जाती है
पूरी दुनिया मुझ पर हँस गई
ठन गई पढाई से ठन गई
खुद से कोई गिला नहीं
अगर पढने को कोई साथी मिला नहीं
वैसे भी कौन पढता है
क्या मेरी बुद्धि में भला इतनी जड़ता है
यहाँ तो सब खुले सांड है
क्युकी गोल्डफ्लेक और गोडांग गरम यहाँ के नए ब्रांड है
इन आदतों से तो जिन्दगी बच गई
पर हॉस्टल लाइफ जच गई
ठन गई पढाई से ठन गई।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
9 comments:
nice yaar.........lagta really padi s than gai hai..........
isse saf pata chalta he hostle me padhne ka koi mahol nahi he tum bhi us chakravyuh me dhaste jarahe ho behtar hoga hostle chhod kar kuchh achhe logon ka sath dhundo jinki ruchi journalism me ho vese agar ise sirf kavita mane to theek he good by
reality achi hai...lekin parai mai bhi dhayan lagao..
धन्य भये..हे ईश्वर, इनकी नैय्या पार लगाना!! :)
but papa say no gater masati
dear brother, I liked ur poem very much but it should not be yours reality because I think its time to do study & only study...& don't see the dreams of girls beacause they will create a big hindrence on yours concentration on study..Mind it..
anyway this poem is 100% true according to today's generation..& I am glad to know that you can also write this kind of wonderful poems which are related to the real life of the students..Congrates!
nice poem yaar...........
na padhne ka khitaab toh alwayz hostel walon ko milta hi hai.
well cnt say any thng poem is awsome...
i thnk its suits prsns whether its male or female.
hv fun
hey..apki raat ko gf se hi baat karte ho..parai nahi?kya hostel ke bare mai bichar hai apke...
hi......dever ji ..study mai mann lagao...or girl friend se door ho jao....chola-chawel kum khao...or jaldi se jurnalist banker aao...
Post a Comment