Saturday, October 10, 2009

अंधा बाँटें रेवड़ी , ओबामा को देई


हिन्दी की फेमस कहावत है की "अंधा बाटें रेवड़ी , अपने अपने को देई " आज काफी सालो बाद इस कहावत से साक्षात्कार हुआ है । किसी ने सही ही कहा की जब अंधा आदमी रेवड़ी बाटता है तो ख़ुद को ही देता .
वैसे नोबल कमिटी की तरफ़ से बयां आया है की -" ओबामा ने जिस तरह से दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़ खीचा और अपने लोगो को बेहतर भविष्य की उम्मीद जगाई वैसा कोई बिरला नही कर पता "
९ अक्टूबर २००९ शायद दुनिया के इत्तिहास में दर्ज होने वाली तारीख थी जब अमेरिका के प्रेसि। ओबामा को नोबल पुरस्कार दिया गया
वैसे तो ओबामा को शान्ति के लिए नोबल पुरस्कार मिलना एक अचम्भा ही कहा जा सकता है क्युकी नोबल पुरस्कार के लिए नोमिनेशन की जो आखरी तारीख थी वो '१ फरवरी ' थी परन्तु ओबामा राष्ट्रपति २० जनवरी को बने तो क्या इतनी जल्दी से ही फ़ैसला हो गया की ओबामा साहब तो शान्ति के दूत बन कर इस धरती पर उतरे है ।
और अमेरिका के किसी प्रेसिडेंट को नोबल प्राइज दिया जन वो भी शान्ति के लिए ये तो एक हस्स्यस्पद बात कही जायेगी ।
वैसे मनमोहन सिंह ने इस पर काफी खुशी जताते हुए ये कहा है की ओमाबा एक इसे व्यक्ति है जिन्होंने ये कहा है की -" आज के अमेरिका की जड़े महात्मा गाँधी के भारत से निकलती है " वाह !! काश ओबामा यह कहते की आज के अमेरिका की जड़े सोनिया गाँधी के विचारो से चलती है तो जनाब मनमोहन सिंह तो ओबामा को बिना मरे ही परमवीर चक्र दे देते। वैसे इरान के प्रेसिडेंट ने कहा है की - ओबामा को नोबल मिलने से हम अपसेट नही है बस उम्मीद करते है की अब तो वो दुनिया से नाइंसाफी मिटने के लिए व्यावहारिक कदम उठाना शुरू करेंगे ।
वैसे ओबामा ने कुछ शान्ति कयाम करने का भरसक प्रयास भी किया जैसे - नॉर्थ कोरिया के साथ कामियाब डिप्लोमेसी करने की कोशिश की, मुस्लिम देशो को साथ लेने की कोशिश की , ४८ साल बाद इरान और म्यांमार जैसे देशो से बातचीत के रस्ते निकले , वैसे ओबामा की ग्लोबल डिप्लोमेसी का फोकस था मुस्लिम जगत तक पहुचना ।
पर क्या इतने काम काफ़ी है नोबल पुरस्कार पाने के लिए ये , क्युकी इतिहास गवाह है की अमेरिका के प्रेसिडेंट हमेशा बदलते है परन्तु उनके देश की नीतिया कभी नही बदलती । और अगर बात शान्ति का है तो ओबामा का ट्रैक रिकॉर्ड अभी भी बुश से किसी मायने में काम नही है , उनके सत्ता में आने के तुंरत बाद ही उत्तर कोरिया ने परमाणु परिक्षण किया और इरान भी काफी हद तक पहुच ही गया है , पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इराक से अमेरिकी फौजे वापस आने थी परन्तु ऐसा नही हुआ , उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अफगानिस्तान की है जहाँ हालत दिन पे दिन बिगड़ते ही जा रहे है , पकिस्तान में ओबामा बुश की गलतिया दुगने उत्साह से दोहरा रहे है क्युकी उसे दी जान वाली सहायता राशी ३ गुनी कर दी गई है बगैर ये जाने की वो दी जाने वाली राशि का उपयोग अपने पड़ोसी देशो में आतंकवादी गतिविधियों के लिए तो नही कर रहा है , क्युकी हाल ही में पकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ की तरह से बयान आया है की अमेरिका से दी जाने वाली सहायता राशी का उपयोग भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में किया गया था ।
अंकल सेम के इस देश ने ही आज पुरी दुनिया में इतनी समस्याए खड़ी कर दी है की जिससे पार पाना बहुत मुश्किल हो गया है , भारत में व्याप्त कश्मीर समस्या के लिए भी अमेरिका ही जिम्मेदार है , अफगानिस्तान में तालिबान को अमेरिका ने अपने फायदे के लिए खड़ा किया जब वो उसी के लिए भस्मासुर बन गया तो फ़िर उसे ही मारने चला , दुनिया में सबसे ज्यादा एटमी हथियार आज अमेरिका का पास है , अमेरिका का इराक पे हामला करने का मकसद भी अब साफ़ हो गया है जब वो पुरी दुनिया को इराक का तेल सप्लाय कर रहा है , पकिस्तान में ड्रोन हमले अभी भी जारी है , हर देश में अपना सैनिक अड्डा बनाना अमेरिका का हमेशा से ही मकसद रहा है , दुनिया आज ये भालीभाती जान गई है की हर देश में मल्टीनेशनल कंपनीया लगा कर माल कमाने के आलावा अमेरिका ने आजतक कुछ किया नही है ।
ओबामा को नोबल पुरस्कार दिया जान वो भी शान्ति के लिए , फ़िर तो इस वाकिये पर वासिम बरेलवी का एक ही फेमस शेर याद आता है जो अगर वासिम बरेलवी साहब ने नही लिखा होता तो शायद ओबामा के द्वारा ही लिखा गया होता की -
जिंदगी तुझपे अब इल्जाम क्या रक्खे
तेरा एहसास ही एसा है की तनहा रक्खे।

Thursday, October 1, 2009

बड़े बाबू ने किया सच का सामना


कलेक्ट्रेट के बड़े बाबू रमेशचंद्र शर्मा गरम कुर्सी यानि हॉट सीट पर थे , अवसर था सच का सामना करने का । बाबू का जीवन भी कोई जीवन होता है न अवैध बच्चे , न अवैध सम्बन्ध , न कभी ड्रग्स ली न जेल गए , बचपन में बाप के डर से न ही सिगरेट पी , बड़े होने पर बीवी के डर से शराब को हाथ भी नही लगाया , यानि की कोई सच था ही नही सामना करने को इसलिए उन्हें भरोसा था की बगैर इज्ज़त गवाए और कपड़े उतरवाए एक करोड़ रुपए आसानी से जीत लेंगे।
सामने सोफे पर बैठने के लिए उनकी पत्नी , ससुर ओर माँ को बुलाकर बिठाया गया था ताकि बेइजत्ती ढंग से हो और कुछ इमोशनल क्लोस अप लिए जा सके ।
' पहला सवाल ' एंकर ने आत्मविश्वास या डर से मुस्कुराते हुए रमेश बाबू पर दागा " क्या आप बचपन में स्कूल से भाग कर अमिताब बच्चन की पिक्चर देखने जाते थे ?
रमेश बाबू चुप रहे वे जानते थे की १ रुपए ६० पैसे की फर्स्ट क्लास की टिकेट के लिए वो "बॉबी" और "शोले"जैसी फिल्मो की पिंजरे नुमा लाइन में लगे पुलिस के डंडे खाया करते थे , पर उन दिनों यह बुरी बात नही मानी जाती थी ।
हिम्मत करके बोले - सच है ,पोलिग्राफी टेस्ट के रिजल्ट लिए गब्बरनुमा म्यूजिक बजा " ये जवाब सही है " । एंकर ने रमेश बाबू की माँ से पुछा " माजी कैसा लग रहा है आपको ये सच जानकर " "कैसा क्या लग रहा है ये कौन सी नई बात है इसके बाबूजी ख़ुद तड़ी मार कर पिक्चर जाते थे मधुबाला की - माँ ने जवाब दिया ।
आप १ लाख रुपए जीत गए है लेकिन आगे के सवाल आपको परेशानी में डाल सकते है । सूट बूट धारी बड़े बाल वाला एंकर शर्टधारी अध्गंजे रमेश बाबू से।
" अगला सवाल क्या ये सच है की अपनी शादी में कँवर कलेवा के वक्त आपको एच एम् टी की हाथ घड़ी दी गई जबकि आप चाहते थे की आपको टेपरिकॉर्डर मिले "
रमेश बाबू की आँखों के सामने शादी का दृश्य घूम गया जवानी में वो यूनियन के लीडर थे , साथी उन्हें कॉमरेड कहते थे और थोड़े बहुत आदर्शवादी वो थे भी लेकिन वो ज़माना टेपरिकॉर्डर का था और उनकी दिलितमन्ना थी की चाहे कन्या एक जोड़े में घर आए पर उसके साथ एक टापरिकॉर्डर जरुर हो ताकि उसमे शादी के बाद मुकेश और लता के दर्द भरे गाने सुने जा सके ।
पसीना पोछ कर रमेश बाबू बोले - सच है ' जवाब सही था। कैमरा तुंरत रमेश बाबू के ससुर जी पर जूम हुआ "ससुर जी कैसा लग रहा है आपको ? क्या रमेशा बाबू यानि की आपके दामाद दहेज़ लोभी है? "
"मै तो चाहता ही नही था की मेरी बेटी की शादी किसी मास्टर या बाबू से हो जीवन भर तो ख़ुद का मकान बनवा नही पाते ये लोग प्रोविडेंट फंड से पार्ट , फाइनल निकलते है , बेटे की पढ़ाई के लिए 'एजूकेशन लोन ' का मुह ताकते है"।
स्मार्ट एंकर पस्त रमेश बाबू से - शर्मा जी आप बहुत अच्छा खेल रहे है पर आगे के सवाल आपके परेशानी मै डाल सकते है , आप तैयार है ? रमेश बाबू ने पत्नी की तरफ़ मंजूरी के लिए देखा , ख़ुद को टीवी पर पहली बार आने के ख्याल से ही वो इतनी खुश थी की इसे उसकी हामी समझ रमेश बाबू ने भी हामी भर दी ।
"अगला सवाल " - क्या ये सच है की अक्सर जब आपके नाई की दुकान पर बाल कटवाने जाते है , तो घंटो वहाँ बैठे घटिया मेग्ज़ीन पढ़ा करते है और घर आकर अपनी पत्नी को लम्बी लाइन का बहाना बना देते है ताकि सन्डे का कुछ समय आपके शब्दों मै "आराम से कट सके " । रमेश बाबू समझ गए इस सच को कबूल करने के बाद उनका सन्डे बर्बाद होने वाला था और श्रीमतिजी उनसे घर मै मकडी के जाले और पानी की टंकी साफ़ करवाने वाला काम करवाने वाली थी । पर सवाल ५ लाख का था लिहाज़ा जी कट्ठा कर के बोले - सच है , पोलीग्राफ टेस्ट की तस्दीक होते ही श्रीमतीजी शर्मा - " जभी मै सोचू की तुम्हारे बाल है ही कितने जो तुम हर रविवार कटवाने चले जाते हो अब बताना जाकर ।
तंदुरुस्त एंकर दुबले पतले रमेश बाबू से आप चाहे तो ये खेल छोड़ कर जा सकते है क्योकि आगे का सवाल आपका वैवाहिक जीवन बरबाद कर सकते है , शर्मा जी ने सोचा बचा ही क्या है बर्बाद होने को इसलिए वो पर्सनल सवाल का सामना करने को भी तैयार हो गए ।
"अगला सवाल " - क्या ये सच है की रोज़ सब्जी खरीदकर घर लाने के बाद आपके अपनी पत्नी को कम भाव बताते थे ? जबकि असल मे आपके ज्यादा दाम चुकाकर आते थे , उदाहरण के लिए आप गिल्की ८ रूपये पाव लाये तो आप भाभीजी को ४ रुपए कहते थे ताकि वो नाराज़ न हो जाए ?
अब रमेश बाबू घबरा गए कहीं ये सवाल उनका तलाक़ ना करवा दे ? पर १० लाख का सवाल था लिहाज़ा उन्होने लंबे इंतज़ार के बाद यानि तब तक दर्शक चॅनल बदलने के लिए रिमोट का बटन दबाने ही वाले थे की कहा - "सच है "
श्रीमती शर्मा सोफे पर पर करवट बदल रही थी रमेश बाबू की माँ के चेहरे पर मुस्कराहट थी और उनके ससुर समझ नही पा रहे थे की कौन सा एक्सप्रेशन दूँ ।
कमला जी , एंकर श्रीमती शर्मा जी की तरफ़ मुखातिब हुआ - क्या कहेंगी आप इस सच पर, रमेश बाबू की पत्नी की आँखों मे आंसू आ गए - " मुझे पहले ही शक था की इनकी बेवकूफी भरी शकल देख कर ही सब्जी वाली चार गुना दाम बता देती होगी और ये ले आते होंगे पर अब मुझे समझ मे आया की घर मे बचत क्यों नही होती , जब से शादी हुई है एक - एक चीज़ को तरस रही हूँ पर अब मे बर्दाश्त नही कर सकती, मै जा रही हूँ अपने माइके संभालो अपना घर "
सेट पे अफरा तफरी मच गई रमेश बाबू हॉट सीट से कूद कर श्रीमती शर्मा के पीछे भागे । और एंकर को यह सोचते - सोचते ब्रेक लेना पड़ा की ये सेल मिडिल क्लास लोग हिम्मत नही है सच का सामना करने की आगे से ऐसे लोगो पर "बैन"