Wednesday, December 30, 2009

एक अनथक यात्री


कहीं पेड़ो की शाखे थी झुरमुट
निकला था पहने मृगतृष्णा का मुकुट
चेहरे पर मंद मंद मुस्कान लिए
आँखों में अजब सा तूफ़ान लिए
चलना चाहता था मै सैलाब लिए
किन्तु आसान नहीं थी डगर
ऊपर से जीवन एक अजायबघर
लोगो की संदेहास्पद शक्लें
जिन पर ठहरी हुई उनकी अक्लें
निरंतर सहज भाव से असहज होकर
अपने आपको मुझमे खोकर ...
एक अधस्वप्न लिए मुझे घूर रही थी
सोच रही थी कि ये यात्री कहाँ तक सफ़र करेगा
कितने दुःख और पीडाओं को समाज का दायित्व समझ कर भोगेगा
मगर मुझे आगे जाना था ,कुछ खोना कुछ पाना था
निरंतर अपने आपको करके सुपुर्द इस जीवन में
चला जा रहा था निर्जन वन में
इतने कष्ट और पीडाएं सहने के बाद भी
न जाने कौन सा अभिलाषा उसे आगे ले जा रही थी
उसे विश्वास है कि वो पहुचेगा मंजिल पर एक दिन
इसलिए वो है एक अनथक यात्री

Monday, December 28, 2009

झंडे , डंडे और मुस्तंडे


माना जाता है की छुआछूत आज भी इस देश में है , इस समस्या से पार पाने में बड़े - बड़े पोंगा पंडितो ने भी कहा है की जाती प्रथा वर्ण व्यवस्था तो भारत से कभी नहीं जा सकती......... अगर कोई इस जात पात से बचा है तो वो है राजनीती , वो कहते है न की राजनीती में कोई अछूत नहीं ...
तो यही से बात निकलती है झारखण्ड राज्य में हुए इस वर्ष के चुनाव परिणामो से जहाँ "झारखण्ड मुक्ति मोर्चा " एक मात्र ऐसी पार्टी उभर कर आई है जिसे सबसे ज्यादा (१८) सीट मिली । इसके बाद कांग्रेस गठबंधन को २५ और बीजेपी गठबंधन को २० सीटे मिली ....
आपने अखरोट की तरह टूटते जीवन में शायद गुरूजी 'शिबू सोरेन ' को एक बार फिर मोका मिला है की वो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपनी कमर तोड़ सके और इस बार भाग्य भी उनका साथ देता नज़र आ रहा है ... क्युकी कल तक जिस बागी नेता को बीजेपी गलिया देती आई थी आज उसी के साथ हाथ में हाथ डाल कर ' हम होंगे कामियाब एक दिन ' के नारे लगा रहे है ...
बीजेपी के नए अध्यक्ष नितिन गडकरी ने अपने अध्यक्ष बन्ने की ख़ुशी में पार्टी को एक नया तोहफा देने के लिए शायद गुरूजी के चरण स्पर्श कर लिए और गुरूजी ने भी दक्षिणा में गठबंधन का एकलव्य नुमा अंगूठा मांग लिया ॥ क्युकी गुरूजी तो ठहरे गुरूजी जिनकी बचपन से एक ही तमन्ना रही हे की झारखण्ड का सी एम् बनना है .... इस बार फिर गुरूजी चिल्ला चिल्ला के कह रहे है की 'फिर वही दिल लाया हूँ मगर इस खिचड़ी सरकार में बीजेपी ने असंतोष जताते हुए गुरूजी के सी एम् बन्ने के फैसले को फिलहाल तो अधर में लटका दिया है।
राजीव प्रताप रूडी ने आपनी पार्टी के निष्पक्ष और विश्वसनीय नेता होने के naate विरोध भी जाता दिया हे की जिस नेता को हम पिछले कई सालो गलिया देते आ रहे है और जिसका विरोध करना ही हमारी पार्टी का मेन मकसद रहा हे उसके साथ अपने झंडे , डंडे और मुस्तंडे क्यों मिलवाये , मतलब क्यों गुरूजी के साथ सरकार बनाये ,,
जहाँ तक बीजेपी का सवाल है तो उनके नए अध्यक्ष भाऊ गडकरी से काफी उम्मीदे थी पर वो भी उस्सी तरह की राजनिति को आगे बढ़ाते दिख रहे जो बीजेपी में हमेशा से चलते आरही है ॥
खैर इससे एक बात तो अब आम जनता को समझ में आ ही गई है की राजनीती में न तो कोई नैतिकता होती है न कोई सिद्धांत होता हे अगर कुछ होता तो एक लक्ष्य कुर्ती को पाने का लक्ष्य ....
तो झारखण्ड के चुनाव नतीजो से जो खिचड़ी सरकार बनती नज़र आ रही हे वो यह है की - " इस हमाम में किसी के पास अंडरवेयर नहीं है ".....