Monday, September 14, 2009

मेरी हिन्दी mat करो यार ! !

एम्स हॉस्पिटल के इमर्जेंसी वार्ड में हिन्दी बेड पर पड़ी हुई है , उसे ओक्सिजेन मास्क लगा हुआ है , उसकी रीड़ की हड्डी बुरी तरह टूट चुकी है , कोई देखने वाला नही है , डोक्टोर्स ने भी आई एम् सॉरी कह कर पल्ला झाड़ लिया है ,
सुनने में आया है की हिन्दी को हार्ट अटेक आया था, वो भी उसके जन्मदिन के दिन मतलब हिन्दी दिवस पर जब उसकी जन्मदिन की बर्थडे पार्टी में किसी ने ये कह दिया - (मेरी हिन्दी मर करो यार ....................) बात शाम के ५ बजे की है हिन्दी की जन्मदिन पार्टी में बहुत बड़े बड़े मेहमान आए थे जैसे उर्दू, स्पेनिश , फ्रेंच , रशीयन , इंग्लिश ओर हमारे देश के भी अलग अलग राज्यों से हिन्दी के कुछ रिश्तेदार आए थे जैसे तमिल , तेलगु , बंगाली , पंजाबी ओर भी बहुत सरे थे जिनकी सूचि काफी लम्बी है , हमारे देश के कुछ मेहमानों ने पार्टी में मस्ती के दौरान मजाक मजाक में कह दिया - मेरी हिन्दी मत करो यार .... ये सुनते ही हिन्दी को अचानक हार्ट अटेक आगया क्युकी उसका इतना बुरा अपमान उसकी के घर में शायद पहले किसी ने नही किया था ।

( यार तुने मेरी सबके सामने हिन्दी कर दी , यार मेरी गर्लफ्रेंड के सामने तो मेरी हिन्दी मत किया कर , यार तुझे पता है कल क्लास में मैडम ने मुझसे एक आसान सा सवाल पुछा यार में उसका उत्तर नही दे पाया मेरी तो पूरी क्लास के सामने हिन्दी हो गई , मेने सुना आजकल तू मेरी बहुत हिन्दी कर रहा है देखलियो नही तो अच्छा नही होगा फ़िर में तेरी सबके सामने इसी हिन्दी करूँगा की तू कही मुह दिखने लायक नही रहेगा )-
ये शब्द आजकल आम बोल चल की भाषा में काफी प्रयोग किए जाते है खास कर के युवाओ में , बच्चो में और कुछ जवानों में भी, ये बोलने वाले लोग अक्सर ये नही समझ्पते की वो क्या बोल रहे है , वो मात्रभाषा का अपमान कर रहे है क्या अब हमारे देश की महारानी को नौकरानी जैसी जिन्दगी गुजारनी पड़ेगी ?
क्या हम आज अपमान की जगह पर यूज़ किए जाने वाले शब्दों को हिन्दी से जोड़कर देख्नेंगे??? हम कैसे समाज की कल्पना करना चाहते है ओर हमारे बच्चो हम क्या दिखाना चाहते की क्या हिन्दी अब सिर्फ़ उन बुजुर्गो लोगो की जागीर बन के रह गई है जिन्होंने अपना सारा जीवन हिन्दी की उत्थान में लगा दिया ................. या अब माँ के सामने भी शर्म आने लगती है ।
हाल फिलहाल ही बुद्धू बक्से (टीवी) के बहुचर्चित प्रोग्राम बालिका वधु में आनंदी के द्वारा भी कई बार इस्तेमाल किया गया है की मेरी हिन्दी कर दी ........ वैसे लोगो की नज़र में हिन्दी करने से मतलब है की तुने मेरा अपमान क्यो किया ? क्या हमारी मात्रभाषा अब हमे अपमान लगने लगी है ? जो हमे इस तरह के कटु शब्दों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है ।
हाल ही में हिन्दी के एक चर्चित लेखक ने कहा की- इंग्लिश को सर्व करो और हिन्दी को गर्व करो । लेकिन यहाँ तो मामला उल्टा ही दिखाई पड़ता है लोग हिन्दी को सर्व कर रहे है और इंग्लिश को गर्व करो जिसका उदाहरण हमे उन नेताओ से मिल ही जाता है जो चुनाव के समय हिन्दी में वोट मांगने आते है ओर संसद में हमारी समस्याए अंग्रेजी में डिस्कस करते है , हमारे क्रिकेट प्लेयर और मंद्पसंद फ़िल्म स्टार जो हमेशा अंग्रेजी में ही बडबडाते रहते है,
एक बहुत बड़ा मिथक तो ये है की कुछ लोगो का कहना है की हिन्दी में तो साहब विज्ञान पड़ा ही नही जा सकता विज्ञान पड़ने के लिए तो अंग्रेजी जरुरी है वो लोग ये नही जानते की चीन ओर जापान जैसे देश जो अंग्रेजी का आया भी नही जानते आज विज्ञान में सबसे आगे है ।
खैर हम तो बात कर रहे थे हिन्दी करने की वैसे ये शब्द सुनने में बड़ा आचा लगता है लेकिन कही न कही ये शब्द कुछ हिंगलिश के प्रकांड पंडितो ने इजात किया है , या ये किसी मानसिक विकृत आदमी के दिमाग की उपज है या किसी शरारती बच्चे की जिसे ये कहने में मज़ा आता है - माय नामे इस बोंड जेम्स बोंड हलाकि इससे खैके पान बनारस वाले तो काफी चिडे हुए है पर उनमे से भी कुछ ने तो अब धीरे धीरे लाइफ बॉय साबुन की तरह इसे अपनाना शुरू कर दिया है ।
जहाँ तक बच्चो का सवाल है वो तो हिन्दी करो का नारा बुलंद किए हुए है , वो लोग हिन्दी की हिन्दी बड़ी तबियत से उस डिटर्जेंट द्वारा धोया जा रहा है जिसका नारा है - इंग्लिश को माफ़ करो हिन्दी को साफ़ करो ।
खैर इसी बीच एक खुशखबरी सुनने में आई है की हिन्दी को अस्पताल के वार्ड बॉय द्वारा दिए गए करेंट के झटको का कुछ असर दिखने लगा है ओर हिन्दी की हालत कुछ सुधरती हुई दिखाई देती नज़र आ रही है शायद कुछ दुवाओं का असर होने ही लगा है शायद तभी ये चमत्कार हो गया की आई सी यू में भरती होने के बावजूद भी हिन्दी ठीक होने लगी है ......... अब हमे दुवा करने की जरुरत है की लोग हिन्दी करो का नारा नही लगाये और हिन्दी पर गर्व करे ॥ नही तो हिन्दी की हालत एक ऐसे पागल प्रेमी जैसी हो जायेगी जिसे उसकी प्रेमिका नही मिली और वो तेरे नाम के सलमान जैसे हो गया हो।
दुष्यंत कुमार का एक फेमस शेर है की -
कौन कहता है असमान में सुराख़ नही हो सकता
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो ।


3 comments:

vedmishra said...

vastav me hindi ke asli dushman hindi wale hi hen gair hindibhashi nahi.darasal hamare uper english ka aisa khauf sawar hai.ki jo banda gitir pitir karta dikhe uske charan pakadne ki ichha hoti hai.english bolne wala enteligent,smart,gyani dhyani ,tapasvi aur na jane kya kya najar ata he.hame jarurat hai hindi bolte samay sar uncha karne aur chhati chodi karne ki

Manish Pundir said...

bhai ye baat to sahi h aje kal hindi ko yaad karne ke liye hindi pakhvada menane ki jarurat ae gayi h,ab humare dash ko bhi sab india bulate h hindustan to sab bhul gaye h,,,,,or esi halat ke chalte humare desh me me hindi shyad bache galti humre bich hi h,aje bcha paida hota h to ma baap english mediu sch. dhundhte h,,,par vo hindi or apni boli tak nahi sikhate h,sab chete h mera acha english me kam naaaaaa hoooooo ab ye humre hi haat me h ki hum hindi ko bchte h yaaaaaaa..........................

ritu sharma said...

angreji vah kirayedar nahi jo hamare desh par avaidhanik kabja kar le ye to vo besharm atithi he jo jad jama kar baith jate hain.so bhagane ke liye samay,parishram to lagega hi.hindi mata aur anya kshetriya bhasha ki mausiyan hi milkar is aunti ko bhaga sakti hain.meri salah hai aunti ko jano aur ma ko mano.